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परशुराम का इतिहास

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(लेखक रामदेव द्विवेदी, संपादक - ऊँ टाइम्स, समाचार पत्र भारत)   ब्राम्हणों के ईष्टदेव परशुराम -  भगवान परशुराम जी का इतिहास परशुराम जयंती हिन्दू पंचांग के वैशाख माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है. इसे “परशुराम द्वादशी” भी कहा जाता है! अक्षय तृतीया को परशुराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है! ऐसा माना जाता है कि इस दिन दिये गए पुण्य का प्रभाव कभी खत्म नहीं होता ! अक्षय तृतीया से त्रेता युग का आरंभ माना जाता है. इस दिन का विशेष महत्व है,"भगवान परशुराम" भारत में हिन्दू धर्म को मानने वाले अधिक लोग हैं! मध्य कालीन समय के बाद जब से हिन्दू धर्म का पुनुरोद्धार हुआ है, तब से परशुराम जयंती का महत्व और अधिक बढ़ गया है. इस दिन उपवास के साथ साथ सर्व ब्राह्मण का जुलूस, सत्संग भी सम्पन्न किए जाते हैं. परशुराम शब्द का अर्थ- परशुराम दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है. परशु अर्थात “कुल्हाड़ी” तथा “राम”. इन दो शब्दों को मिलाने पर “कुल्हाड़ी के साथ राम” अर्थ निकलता है. जैसे राम, भगवान विष्णु के अवतार हैं, उसी प्रकार परशुराम भी विष्णु के अवतार हैं. इसलिए परशुराम को भी विष्णुजी तथा रामजी के समा...